5. अध्यात्म

“अध्यात्म”  किसी भी समाज के सरोकार में ,  उसके चिन्तन – मनन में ,  उसके आचार ‌- व्यावहार मे ं  तब प्रवेश करता है ,  जब वह समाज अपने पेट की जंंग  जीत चुका होता है ।  इतिहास  गवाह है कि ऐश्वर्य में ही कोई समाज  या राष्ट्र ईशवर – चिन्तन के प्रति ज्यादा  संवेदनशील होता है … Read more