47. काम और मोक्ष

” काम ” और  “मोक्ष

जीवन के दो महान

   लक्ष्य है ं ।

  ” अर्थ ” और ‌”धर्म” 

   दो साधन हैं ।

  ” अर्थ ” का  सिधा सम्बन्ध  धन से है ,

   जो  “काम ” का साधन है ।

  इसलिए जो युग जितना कामूक

  होगा ,वह उतना ही 

  धन पिपासु होगा ।

  जो युग  “मोक्ष” की आकांक्षा  रखेगा

  वह उतना ही आध्यात्मिक  होगा ।

  महत्वपूर्ण बात यह है कि

 ” धर्म ”  भी “धन ” की तरह एक साधन है ।

  जब “मोक्ष” पाना होता है तो  “धर्म”

  साधन बन जाता है ।

  यदि  “काम – तृप्ति ” की प्यास हो तो

  “धन” साधन बन जाता है ।