2. “जीवन”

‘जीवन’ एक अवसर है,स्वंय के द्वारा, स्वंय के निर्मण का | यदिजीवन होशपूर्ण है तो,यह स्वंय का सतत् सृजन है| जीवननियती का कोई खेल नहीं,प्रकृति द्वारा प्रदतअवसर का एक सार्थक प्रयास है| जीवनको जब सही दिशा और दृष्टि मिलती है तो‘सिद्धार्थ’ भगवान बुद्ध बन जाते है |महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रुप में स्थापित हो जाते … Read more