27. बेखौफ परिन्दे की पहली छलांग

खुले आसमान में

अपनी पहली उड़ान  के लिये

एक परिन्दे को  बेखौफ छलाँग

लगानी पड़ती है ।

इस  जिन्दगी और मौत के बिच का

फासला खुद तय करनी पड़ती है ।

जिन्दगी का  यह  पहला सबक है कि

बिना जोख़िम के यहाँ कुछ भी

हासिल नही होता ।

यदि तुझे “खास ” बनना  है

तो  बेहिसाब  श्रम  और  चट्टानी साहस

को खुद के साथ जोड़ना होगा ।

जिसने भी  जिन्दगी में कुछ बडा़

हासिल किया है उन्हें उसकी

भरपुर किमत चुकानी पडी ़ है ।

मेरा हर उस जज्बे ओर हौसले

को सलाम  , जिसने भी

जिन्दगी में पहली बार

बेखौफ छलाँग लगाने की जोख़िम उठायी है ।

जिंदगी भी  उन शुरविरों  के

दामन बेशुमार दौलत और शोहरत से भर डाला है ।