65. यौन उत्पीडन और निर्मम नौकरशाही (part-1)

कोई भी ” मानवीय अपराध” जब  हमारे ” महिला जगत” को अमानवीय और निर्मम तरिके से प्रताड़ित करता है , उसके अस्मिता को क्षत – विक्षत करता है ,  तो वह केवल अपराध नहीं हो सकता , उस कृत्य को एक वहसी जानवर द्वारा किया गया निकृष्टतम और निर्मम ” कुकृत्य” ही कह सकते हैं … Read more