अक्सर
जिन्दगी के कुछ सवाल अनुत्तरित रह जाते है ,हॉ
या ना मे जबाव देना बहुत ही मुश्किल होता है ।
इसलिए कभी कभी हम जीन्दगी को
आसुओं ओर नियति के भरोसे छोड़
देते है।
कुछ चीजें समय तय कर देता है कि
क्या सच था और क्या झूठ ?
वर्जनीया वुलफ एक दिन लंदन की सडको पर
भटकते हुऐ पूछा था कि ” WHAT IS LIFE ” ?
लियो टालसटाय भी पुरी जिंदगी इस सवाल से
जु झते रहे ।
मक्तिुबोघ भी पूछते है कि “आखिर बात क्या है ”
क्या जिंदगी खुद मे एक प्रश्न है ?
प्रश्न ही शाश्वत है।