60. “माँ ” अलविदा
रात के सर्द – उदास और गमगीन , धूंध से भरे नीम अन्धेरे में साँसो की गति और पलको की हरकतों से बधती है जिन्दगी की आस । माँ के श्वेत – श्याम जटाओ में भटकती है स्वाँस की गंगा , एक थकी हुयी बेचैनी ममता के सजल आँखो में उतरती है ….. धिरे धिरे … Read more