54. ” नाकाम ” होने का ड़र

” जिन्दगी “    छोटी   छोटी   जरूरतों  और    जुगनू की तरह चमकते  हसरतों     की एक लम्बी  सिलसिला भर है या     कुछ और भी है ?     मेरी जिन्दगी में  कठिनाईया रही हैं ,     पर कष्ट जैसी कोई बात नही है ।     अन्न और आश्रय का … Read more