2. भक्ति

 “भक्ति “        कोई पुजा का विधान नही और         न  ही कोई  कर्मकांड है ।         यह तो एक आन्तरिक प्रकिया है ,         जो निरन्तर चलती रहनी चाहिए ।        ‌ ‌ज्ञानी जहाँ          अपनी ज्ञान की तलवार … Read more