“जिन्दगी के पैबन्द “

“जिन्दगी “   में न अब मुहब्बत है   और न ही इश्क़ ,    न इजहार है न इन्कार ।       दूर दूर तक फैला केवल    हवस का रेगिस्तान है ।    रिश्ते अब जिन्दगी के पैबन्द    बन गये हैं और बच्चे आँगन के    फूल नही ं राशन कार्ड पर दर्ज … Read more