17. ” असहमति ” में उठे हाथ
सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति की “विचारधारा ” ही उसकी समाजिक भूमिका और उसके सरोकार को सुनिश्चित करती है कि वह जन हित के लिए लड़ रहा है या उसकी लडा़ई सिर्फ सत्ता और सिंहासन की है? संर्घष सत्ता के लिये हो या सिंहासन के लिये या फिर धर्म और न्याय के लिये , परन्तु इसमें … Read more