14. जिंदगी में जीत की भूख

” दरिया “ की धारा बनने के लिए पहली बूंद को फना होना पड़ता है । छोटी लकीर के रुबरु एक बडी लकीर खिंचनी पडती है । “जिंदगी “ अपने आप में कभी महान नही होती, बल्कि उसके सरोकार और उसके लक्ष्य , उसके सपने और संर्घष ही जिंदगी को महान और ‌‌Large बनाते है । … Read more

13. ” सुचना ” ज्ञान या ज्ञान का भ्रम

“सूचनाओं “ का संग्रह ज्ञान नही , ज्ञानी होने‌ का भ्रम पैदा करता है । अनुभव की ज्योति से ही ज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित होता है । विवेक की कसौटी पर, अपने सपने और सामर्थ को, जय और पराजय को,अपनी ताकत और कमजोरी को, दुविधा और असमंजस को परख । तुझे बार – बार अपने … Read more

12. काल के कपाल पर

“जिंदगी” के लिए समय और काल सिर्फ दिन ,महीने और साल की गणना नही , बल्कि काल के कपाल पर हमारे द्वारा खिची गयी  एक लकीर होती है । जहाँ हमरा वर्तमान हमारे अतीत के फैसलो का परिणाम होता है, और हमारा भविष्य हमारे वर्तमान के चुनाव का परिणाम होगा । “जिंदगी” हमारे  संर्घषों  का  एक … Read more

11. एक संवाद: जिंदगी और मौत के बीच

एक रात सपने में जिंदगी की “मौत” से मुलाक़ात हो गयी ! ‘मौत’ ने  पूछा ? कैसी हो जिंदगी ? इतनी चहचहा क्यो रही हो ? “जिंदगी” ने इठलाती हुई  जबाब दिया – आज मै बहुत खुश हूँ क्योंकि  आज मेरे पास सब कुछ है  पैसा और दौलत है , शोहरत  और  महफिल है , … Read more

10. जिंदगी और उसके सपनो का यथार्थ

लडखडाते कदमों को सम्भाल , जिंदगी की राह में इन कदमों का कोई मूल्य नही होता । जिस प्रकार उलझे विचारों और झूठे सपनो का कोई मंजिल नही होता । हमारे जीवन में आज भी “संकल्प “ का कोई विकल्प नहीं है । कठोर अनुशासन और दृढ निश्चय के बाद ही सपने विराट लक्ष्य में … Read more

9. हमारे निर्णय और हमारे नर्क

आखिर क्यों और कैसे , ” कर्ण” जैसा योद्धा और  दानवीर केवल प्रतिशोध  और अपमान के कारण  “अधर्म ” और “अन्याय ” के पक्ष में खडा हो जाता है ? वास्तव में  प्रतिशोध और अपमान में लिया गया फैसला, कभी भी  न्यायसंगत और न्याय प्रिय  नहीं हो सकता । क्योंकि  निर्णय तथ्यों के आधार  पर … Read more

8. तू ” प्रजा ” है

तू ‘ प्रजा ‘ है ‘प्रजा ‘ ही बन कर रहना , तुम्हारी सेहत के लिए यह ठीक होगा । तुम्हे अपनी ‘ हद ‘ की पहचान होनी चाहिए , साथ ही तुम्हे अपनी हैसयत और औकात का भी ख्याल रखना होगा । तुम्हे “सवाल ” पूछने का हक और आधिकार नही है ,क्यों कि … Read more

6. जिंदगी और उसके कुछ सवाल

आज जब जिन्दगी  मुझसे पूरी उम्र का हिसाब मांगती है, तो मैं सोच में पड जाता हूँ, क्या जबाब दू जिंदगी को ? देखते ही देखते जिंदगी मेरे हाथो से सरकती चली गई । अभी ठीक से आँख खुली भी न थी , मौत ने आँख मिचौली शुरू कर  दी । पता भी नही चला … Read more