65. यौन उत्पीडन और निर्मम नौकरशाही (part-1)

कोई भी ” मानवीय अपराध” जब  हमारे ” महिला जगत” को अमानवीय और निर्मम तरिके से प्रताड़ित करता है , उसके अस्मिता को क्षत – विक्षत करता है ,  तो वह केवल अपराध नहीं हो सकता , उस कृत्य को एक वहसी जानवर द्वारा किया गया निकृष्टतम और निर्मम ” कुकृत्य” ही कह सकते हैं … Read more

64. “असहमति “

असहमति और प्रतिरोध किसी के प्रति अवज्ञा या अपमान नही ंहोता ,   न ही  यह  किसी के विरुद्ध प्रतिशोध  होता है । यह एक नैसर्गिक विरोध की अवाज होती है , जो किसी भी अन्याय के विरुद्ध और सत्य के पक्ष में उठती है ‌।ये एक आग है , जो जिन्दगी में जलती रहनी चाहिए । अन्यथा जिन्दगी  … Read more

63. “समय” और उसका अस्तित्व

 “भविष्य”  सर्वथा धुंध और अनिश्चय से  घिरा  होता है ,  क्योंकि “भविष्य ” का कोई अस्तित्व नही होता ,  इसलिए ही वह हमारे सपनो से जुडा़ होता है । “भविष्य” की पटकथा सदा ही “वर्तमान” लिखता है , यही कारण है कि “वर्तमान” ही कल का भविष्य होगा ‌, और बिता हुआ “वर्तमान” एक “अतित” की … Read more

62. इच्छाओं का जंगल

जीवन मेंयदि शान्ति और सुकून चाहिए , तो तुझे इच्छाओ ं के जंगल से बाहर निकलना होगा ।पैसा हो या न हो ,ये मन में खर पतवार की तरह कहीं भी, कभी भी ,  पनपने और मचलने लगते हैं । “इच्छा ” यदि ” जरुरत” है तो स्वागत होना चाहिए , यदि वह”ख्वाइश ” है तो सावधान ! … Read more

61. “जिन्दगी ” को सिफारिश नही “सम्मान ” चाहिए ।

सुविधा , सहुलियत और  सिफारिश  पर जब जिन्दगी बसर होने लगती है ,तो जीवन के आदर्श और वसूल  पिछे छूट जाते हैं । आप परजीवी और समझौता – जीवी बन कर रह जाते हैं । प्रतिरोध की नैतिक शक्ति हमेशा के लिए विदा हो जाती है । चाटुकारिता  और  चरण वंदना  ही जिन्दगी के महत्वपूर्ण … Read more

60. “माँ ” अलविदा

रात के सर्द – उदास और गमगीन , धूंध से भरे नीम अन्धेरे में साँसो  की गति और पलको की हरकतों से बधती है जिन्दगी की आस । माँ के श्वेत – श्याम  जटाओ में भटकती है  स्वाँस की गंगा , एक थकी हुयी बेचैनी ममता के सजल आँखो में उतरती है ….. धिरे धिरे … Read more

59. बदलाव की बयार

जीवन में जो कुछ भी शुभ और मंगल है , उसके किरदार हम खुद होते हैं , और जो कुछ भी अशुभ और अमंगल घटता है उसके लिये भी हम स्वयं कसुरवार और  गुनाहगार होते हैं ,    क्योंकि परमात्मा कभी किसी का अहित नही सोचता । हमे ं अपने गलतियों से सबक लेनी होती है … Read more

58. इन्सान बनने की दुर्लभ यात्रा

इस कायनात में हमसब की अपनी अपनी एक जीवन -यात्रा है । पशु – पक्षी से इन्सान और इन्सान से  परमात्मा तक । जिसमें हमें कई जन्मों और उन जन्मों में कई पडा़वो से गुजरना पडा़ है । कोई भी रचनात्मक  बदलाव आसान नहीं होता ,परन्तु जानवर से इन्सान बनने की जो  अटूट  धारा है … Read more

56. हम लाचार नही हैं

हम बेरोजगार हैं पर लाचार और बेबस नहीं हैं । हम आज चुप जरूर है ं पर हमे बे -जुबान समझने की भूल मत करना । हमे ं तुम्हारे आकडो़ की जादूगरी की समझ है , हमे ं ना- समझ  मत समझना । हमें केवल एक नेतृत्व की तलाश है , सही समय पर हमारी धमक आप जरुर … Read more