75. “मोबाईल” एक अज़ीज दोस्त या बे -रहम दुश्मन

मेरे लिए यह कहना जरा मुश्किल है कि “मोबाईल” मेरा अज़ीज दोस्त  है  या बे – रहम दुश्मन ‌ ? पर इतना  तय है  कि इसके बिना जिन्दगी अधूरी है । वह उस मेहबूब की तरह है जो आपसे , आपके बिस्तर से  लेकर सिने तक चिपकी रहती है । वह है तो ही आप हैं … Read more

74. खुला आसमान

मुक्ति की चाह  क्या होती है ? यदि यह जानना हो तो फंदे में फसे उस परिन्दे की तड़प और फडफडाहट से जाना जा सकता है ।आजादी क्या होती है ? मनुष्य की “आजादी”  से बड़ी कोई  ख्वाहिश  नही  हो  सकती । आज वह जो कुछ भी ‌बन पाया है , और जो भी मुकाम हासिल … Read more

73. संसार और बाजार

ये संसार है भैया ! और ये संसार अब एक बाजार है । यहाँ  कुछ भी खैरात में नहीं मिलता । जब भी कुछ खरिदना होता है , किस्तों में खुद को बेचना पड़ता है ।

72. एक अकेला सब पर भारी

अपने इस “ताज ओ तख्त ” पर इतना गुरुर मत कर मेरे आँका ! आपके स्वास्थ्य के लिये यह ठीक  नहीं। सागर कितना भी विशाल हो , उसका भी एक किनारा होता है ‌। आप तो मात्र एक “कतरा ” हैं , “कतरा ” को  फ़ना होने में कितना वक्त लगता है ?

71. अपना अपना कुरुक्षेत्र

कुछ कहने से पहले  बोलने की तमीज़ सीख । लिखने  से पहले पढ़ने के काबिल बन और जिन्दगी जीने  के  पहले जिन्दगी की समझ अपने में पैदा कर । तब कहीं जाकर जिन्दगी मुकम्मल तरिके से अपनी तस्वीर पेश कर पाती है । आज हर  “अर्जुन” अपनी जिन्दगी के जिस कुरुक्षेत्र में अपने को खडा़ … Read more

70. EMI और जिन्दगी

जब तक आपकी जिन्दगी  EMI के ट्रेप में रहेगी , आपके तारे गर्दिश में ही रहेगें । थोडी़ असुविधा में जीने की आदत डाल लो , जिन्दगी आसान हो जाएगी । अन्यथा,  आपसे नही ,आपका घर समानों से  भरा रहेगा ,पर आपके बिना घर सूना  रहेगा ।

69. तू “अपूर्ण ” नही है ।

“परमात्मा”  स्वयं में पूर्ण है ।  वह इन्सान को कभी “अपूर्ण”  बना ही नहीं सकते । इसलिए  तू कही से अपूर्ण नहीं है ।  उसने तुझे “पूर्ण”  बनाकर ही  इस धरा पर भेजा है ।  अब तुम्हे ं अपने जज्बे , जुनून और  जोश से अपनी मंज़िल तक का सफर  स्वयं तय करना होगा ।  इस … Read more

68. आज ” हस्तिनापुर ” पुन: मौन है ।

हम जैसे आम लोगों की जिन्दगी कभी सुर्क्षित नही होती । हम अपनी छोटी छोटी खुशियों में मस्त और व्यस्त रहते हैं । एक दिन अचानक कोई हादसा हमें विवश , लाचार और अनाथ बना कर निकल जाता है । हमें तो  यह भी पता नहीं होता कि आखिर में हमारा गुनाह क्या था ? … Read more

67. बेटी की कामयाबी

जब बेटी की कामयाबी पर पिता की आँखों में खुशी के आसूँ छलक उठते हैं ,तो बेटी गुरुर से खिल उठती है । पहली बार  उसे अपने बेटी होने पर गर्व और अपनी कामयाबी पर नाज़ होता है । पिता के आँखों के आसूँ केवल खुशी के आसूँ नहीं होते , वह संर्घष ,अपमान , … Read more

66. सरस्वती लता जी के राज्य में बेटियाँ असुरक्षित क्यों ? (part 2)

जिस देश का सासंकृतिक और एतिहासिक धरोहर की पृष्टभूमि धर्म और अध्यात्म रहा हो ,उस मुल्क के समाज को किसकी नज़र लग गई है ? क्या हो गया है हमारे देश को ? बेटियाँ अब कहाँ सुरक्षित हैं ? जिस माँ की दो बेटियों के साथ स्कूल में घृणित हादसा हुआ , वह माँ गर्भवती … Read more