अक्सर
जिन्दगी के कुछ सवाल अनुत्तरित रह जाते है ,हॉ
या ना मे जबाव देना बहुत ही मुश्किल होता है ।
इसलिए कभी कभी हम जीन्दगी को
आसुओं ओर नियति के भरोसे छोड़
देते है।
कुछ चीजें समय तय कर देता है कि
क्या सच था और क्या झूठ ?
वर्जनीया वुलफ एक दिन लंदन की सडको पर
भटकते हुऐ पूछा था कि ” WHAT IS LIFE ” ?
लियो टालसटाय भी पुरी जिंदगी इस सवाल से
जु झते रहे ।
मक्तिुबोघ भी पूछते है कि “आखिर बात क्या है ”
क्या जिंदगी खुद मे एक प्रश्न है ?
प्रश्न ही शाश्वत है।
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A. “जिंदगी के नाम”
1. ‘जिंदगी और मुस्कान’ जिंदगी को एक मुस्कान और दिल को जोश ऐ जुनून से जोड़कर तो देख, फिर जिंदगी चलती नहीं, इठलाती है।दुनिया को जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती,खुद ब खुद जुड़ती चली जाती है। इस तनाव से भरी दुनिया में सभी को एक प्यार भरी “झप्पी” औरचमकती आंखों की एक सरल मुस्कान की जरूरत है।एक … Read more
2. “जीवन”
‘जीवन’ एक अवसर है,स्वंय के द्वारा, स्वंय के निर्मण का | यदिजीवन होशपूर्ण है तो,यह स्वंय का सतत् सृजन है| जीवननियती का कोई खेल नहीं,प्रकृति द्वारा प्रदतअवसर का एक सार्थक प्रयास है| जीवनको जब सही दिशा और दृष्टि मिलती है तो‘सिद्धार्थ’ भगवान बुद्ध बन जाते है |महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रुप में स्थापित हो जाते … Read more
A “जिंदगी के नाम”
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