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21. जिंदगी का फलसफ़ा
“जिंदगी” एक पहेली नही , बल्कि पथरिली पगडंडीयो ं पर अपनी मंज़िल की तलाश है । उसके कुछ अनमोल सपने है ं , उन सपनों की अपनी चुनौतियां हैं। उन चुनौतियों को स्वीकार कर , और उसे उसके अंजाम तक पहुचाने कि पुरजोर कोशिश कर । जय – पराजय कि बात पर ध्यान मत दे , ” … Read more
19. केवल नेक इरादे से कुछ हासिल नही होता
यदि आप अच्छे परिणाम के हकदार होना चाहते हैं , तो “EFFORT ” लगाने होगे । कोशिश करनी होगी । दरवाजा यदि बन्द है तो , “KNOCK ” करनी होगी । अन्यथा, केवल नेक इरादे से कुछ हासिल नही होता। नेक इरादे के साथ कठोर अनुशासन और अटूट लगन का होना आवश्यक होता है । … Read more
18. तू और तेरी जुस्तजू
तुने कभी अपने दिल पर हाथ रख कर खुद से सवाल किया है ? बता “जिंदगी ” तुझे जाना कहा है ? तेरी मंजिल क्या है ? नही पूछा है तो एक बार पुछ “जिंदगी ” इज़हार करती है —- अपनी ख्वाहिश े , अपने सपने ,अपने इरादे । मुश्किल े यही से शुरू होती हैं ,क्योंकि … Read more
17. ” असहमति ” में उठे हाथ
सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति की “विचारधारा ” ही उसकी समाजिक भूमिका और उसके सरोकार को सुनिश्चित करती है कि वह जन हित के लिए लड़ रहा है या उसकी लडा़ई सिर्फ सत्ता और सिंहासन की है? संर्घष सत्ता के लिये हो या सिंहासन के लिये या फिर धर्म और न्याय के लिये , परन्तु इसमें … Read more
16. नायक नही “खलनायक” है तू
हमने वो सब कुछ किया , जिसकी तुम्हे उम्मीदे थी हमसे , सम्मान ,शोहरत , प्यार , पावर और प्रतिष्ठा ,सभी कुछ समर्पित किया तुम्हारे कदमों में । बदले में वादो, नारो और जुमलो के सिवा तुम हमे कुछ नही दे सके । तुम्हे जो करना था , वो तुमने किया । अब हम वो … Read more
15. जिंदगी और भटकाव
तुम्हारी जिंदगी में यदि अब तक भटकाव है , तो इसके कारण क्या हैं ? एक बार खुद से सवाल तो कर । तेरे हर सवाल का जबाब तेरे जिंदगी के पास है । तू पहले अपनी “प्राथमिकता ” तो तय कर । जीवन में यदि लक्ष्य ही सुनिश्चित न हो तो जिंदगी मे भटकाव … Read more