4. धर्म

“धर्म”  कोई मजहब ,  कोई पंथ ,कोई सम्प्रदाय नही ं है ।  यह तो हमारे आध्यात्मिक जीवन का शिखर है ।  क्षितिज के  पार  की एक दिव्य पुकार है ।  “धर्म ” का संबंध  आस्था से नही हमारे   अस्तित्व से है ।   यह सत्य से ज्यादा  स्वयं की खोज है ।  ‌ ” धर्म … Read more

3. वासना

” वासना  “               को लेकर हमारी धारणा              सदा से ही अधार्मिक ,अवैज्ञानिक , और              निषेधात्मक रही है ।              सच्चाई यह है कि “वासना ” हमारी           … Read more

2. भक्ति

 “भक्ति “        कोई पुजा का विधान नही और         न  ही कोई  कर्मकांड है ।         यह तो एक आन्तरिक प्रकिया है ,         जो निरन्तर चलती रहनी चाहिए ।        ‌ ‌ज्ञानी जहाँ          अपनी ज्ञान की तलवार … Read more

B. अध्यात्म ( प्रार्थना)

1.  प्रार्थना    ” प्रार्थना”  एक विचार नही ,      कोई  एक  क्रिया  नही ,      यह एक भाव दशा  है ,       जिसमें  समर्पण के सिवा कोई  प्रश्न नही ,       निज पुकार के सिवा  कोई       आग्रह नहीं ।    ‌  ” प्रार्थना “   … Read more

30. बन्द दरवाजे पर न्याय की गुहार

ज़िन्दगी से बेहतर 

 कभी मौत नही हो सकती और

 त्याग से बेहतर कभी लालच रुपी संग्रह

 नही हो सकता ।

 ज्ञान से बेहतर कभी बुद्धि 

 नही हो सकती और क्षमा से

 बेहतर कभी प्रतिशोध नही हो सकता ।

 गुलामी कितनी भी चमकीली हो ,

 तकलीफ से भरी  स्वतंत्रता की जगह

 नही ले सकती ।

 पिंजरा लोहे का है या सोने का 

 इससे कोई फर्क नही पड़ता ।

 गरीबी में यदि थोडी़  भी 

 गरिमा के लिये जगह हो  ,

 तो वो सदा अश्लील और भड़किली

 अमीरी का बेहतर होती है ।

पत्नी कभी  प्रेयसी  की जगह

नही ले सकती क्योंकि

प्रेयसी में समर्पण और प्रेम का  निमंत्रण होता है

और पत्नी मे अपने अधिकार का गुरूर ।

भाई  और  दोस्त  के बिच 

मैने अपने मुश्किल धडी़  में

दोस्त को हमेशा साथ खड़ा पाया ,

पर भाई के पास हमेशा समय का  अभाव  रहा ।

वास्तव में  भाई आपका अपना चुनाव नही होता ,

ये रिस्ता नियति  द्वारा थोपा गया होता है ।

कर्ज़ की झूठी अमिरी से  बेहतर है

आभाव भरी जिन्दगी , क्योंकि 

जीवन में धन की जरूरत से ज्यादा

समझ और साख़ की होती है ।

फिर मुटृी भर सम्मान से जिन्दगी

कट जाती है ।

गदहे को यदि  आप अनार 

खिला रहे हो तो वह  राणाप्रताप  का  

“चेतक” नहीं बन जाएगा ,

इसमें गदहे का  दोष  नही ,यह

उसकी सीमा है ।

शोहरत और दौलत से 

कोई  महान नहीं होता ,

एक भीड़ महान होने का  भ्रम

जरूर पैदा कर देती है ,

बडे़ बडे़ ‌ तथाकथित सितारे को

पैसो के लिऐ  तम्बाकू का ईश्तहार 

करते देखा है ।

सिस्टम से यदि आप

न्याय की गुहार लगा रहे हैं ,तो

आप फरियाद के लिये  गलत दरवाजा

खटखटा रहे हैं ।

न्याय के लिये ये दरवाजा आवाम के लिए

कब के बन्द हो चुके हैं ।

29. जिन्दगी ” हादसा ” नही उपहार है

शिकायत

“ज़िन्दगी ”  से नहीं , ‌‌‌  

खुद से है ।

मैने ही “ज़िन्दगी”  को समझने में

और उसे संवारने में भूल कर दि ।

पुरी “ज़िन्दगी”

मै  केवल भीड़ का हिस्सा बना रहा ,

जिसका न अपना कोई चेहरा था ,

न कोई विचार ।

नाकाम होने का ग़म  मुझे उतना नहीं ,

जितना दुखः इस बात का है कि

हम किसी के काम  न आ सके और

न ही खुद को उस काबिल बना सके ।

कल तक मेरे पास

दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा था ,

जिसकी किमत दुनिया का कोई भी जौहरी

नही लगा सकता था ।

परन्तु मैने वो दौलत मुफ्त में लुटा दिये ।

“समय”

 एक  ऐसी  सम्पदा है ,

 जिसे कुदरत ने हमसब पर 

 दिल खोल कर लुटाया है ,

जिसके जरिये हम अपने जीवन में

अवसर का सृजन कर सके और

खुद का  निर्माण कर सके ।

पर दुर्भाग्य बस , समय रहते

जिसकी किमत हम नहीं समझ सके ।

“समय”

 कि सत्ता से

 जिसने भी खिलवाड ़ किया है ,

 “समय” ने उसे कही का नही छोड़ा ।

 ़बडे़ ही  निर्ममता से उसे

 इतिहास के कुडे़दान ‌मे फेंक दिया ।

 “समय”

  का जिसने भी सम्मान किया है ,

  उसे अपने खून पसीने से सिंचा है ,

  उसे कुदरत ने हमेशा

  सफलता के सिहांसन से नवाज़ा है ।

28. ज्ञान का सूरज

सारी दुनिया से 

तू तौबा कर ले ,

कोई गम़  नही ।

ये ज्ञान की सदि है भाई ,

बस तू मेरी एक बात मान ले …….

अपने छोटे से आँगन में

“ज्ञान ” के सूरज को उतार ले ।

परन्तु

तुझे इसके लिये

पहले अपने भीतर के अन्धेरे से लड़ना होगा ।

तुम्हे यह पता होना चाहिए 

तुम्हारी हर पराजय ,हर दु:ख , हर अस्वीकारता

के पिछे तेरी ” अज्ञानता ” तेरा संशय ही

महत्वपूर्ण कारण रहा है ।

“ज्ञान ” के बाद ही  जिन्दगी 

 जन्नत है भाई  ,अन्यथा

 जिन्दगी एक श्राप है ,एक सज़ा है , एक

 लक्ष्यविहीन दौड़ है ।

 ज्ञान के बिना अमीरी भी अश्लील लगती है ।

 संर्घष भी दिशाहीन हो जाता है ।

 क्योंकि हम जीवन में

 आँक्टोपस की तरह एक ही साथ ,

 चारो ं दिशाओं में चलना चाहते हैं ।

27. बेखौफ परिन्दे की पहली छलांग

खुले आसमान में

अपनी पहली उड़ान  के लिये

एक परिन्दे को  बेखौफ छलाँग

लगानी पड़ती है ।

इस  जिन्दगी और मौत के बिच का

फासला खुद तय करनी पड़ती है ।

जिन्दगी का  यह  पहला सबक है कि

बिना जोख़िम के यहाँ कुछ भी

हासिल नही होता ।

यदि तुझे “खास ” बनना  है

तो  बेहिसाब  श्रम  और  चट्टानी साहस

को खुद के साथ जोड़ना होगा ।

जिसने भी  जिन्दगी में कुछ बडा़

हासिल किया है उन्हें उसकी

भरपुर किमत चुकानी पडी ़ है ।

मेरा हर उस जज्बे ओर हौसले

को सलाम  , जिसने भी

जिन्दगी में पहली बार

बेखौफ छलाँग लगाने की जोख़िम उठायी है ।

जिंदगी भी  उन शुरविरों  के

दामन बेशुमार दौलत और शोहरत से भर डाला है ।

26. बे-रहम जिन्दगी

तू अपने   निज सत्य के लिए   खुद को अटल रख ।  दुनिया के गिले – शिकवे की   परवाह मत कर ।  जो हाथ आज विरोध में उठे है ं  वो कल तालियो ं मे बदल जाएगे ।  क्योंकि यही दुनिया की फितरत है  की वह आज भी ललाट देखकर ही  तिलक लगाना जानती है ।  तू … Read more

25. जिन्दगी का पता

जिस व्यक्ति ने  “ज़िन्दगी ”  का  पता  ढूढ़  लिया ,  उसे   “जिन्दगी ” का  हर  राज़   .हाथ लग जाता है ।  यक्ष प्रश्न  भी यही है कि  जिन्दगी का पता   ढुढा़ कैसे जाय ?  आज  जीवन में  चारो तरफ  जो दुःख और क्लेश है ,  असफलता और  विफलता है ,  विघटन  और ‌ विखराव  है  … Read more