ज़िन्दगी से बेहतर
कभी मौत नही हो सकती और
त्याग से बेहतर कभी लालच रुपी संग्रह
नही हो सकता ।
ज्ञान से बेहतर कभी बुद्धि
नही हो सकती और क्षमा से
बेहतर कभी प्रतिशोध नही हो सकता ।
गुलामी कितनी भी चमकीली हो ,
तकलीफ से भरी स्वतंत्रता की जगह
नही ले सकती ।
पिंजरा लोहे का है या सोने का
इससे कोई फर्क नही पड़ता ।
गरीबी में यदि थोडी़ भी
गरिमा के लिये जगह हो ,
तो वो सदा अश्लील और भड़किली
अमीरी का बेहतर होती है ।
पत्नी कभी प्रेयसी की जगह
नही ले सकती क्योंकि
प्रेयसी में समर्पण और प्रेम का निमंत्रण होता है
और पत्नी मे अपने अधिकार का गुरूर ।
भाई और दोस्त के बिच
मैने अपने मुश्किल धडी़ में
दोस्त को हमेशा साथ खड़ा पाया ,
पर भाई के पास हमेशा समय का अभाव रहा ।
वास्तव में भाई आपका अपना चुनाव नही होता ,
ये रिस्ता नियति द्वारा थोपा गया होता है ।
कर्ज़ की झूठी अमिरी से बेहतर है
आभाव भरी जिन्दगी , क्योंकि
जीवन में धन की जरूरत से ज्यादा
समझ और साख़ की होती है ।
फिर मुटृी भर सम्मान से जिन्दगी
कट जाती है ।
गदहे को यदि आप अनार
खिला रहे हो तो वह राणाप्रताप का
“चेतक” नहीं बन जाएगा ,
इसमें गदहे का दोष नही ,यह
उसकी सीमा है ।
शोहरत और दौलत से
कोई महान नहीं होता ,
एक भीड़ महान होने का भ्रम
जरूर पैदा कर देती है ,
बडे़ बडे़ तथाकथित सितारे को
पैसो के लिऐ तम्बाकू का ईश्तहार
करते देखा है ।
सिस्टम से यदि आप
न्याय की गुहार लगा रहे हैं ,तो
आप फरियाद के लिये गलत दरवाजा
खटखटा रहे हैं ।
न्याय के लिये ये दरवाजा आवाम के लिए
कब के बन्द हो चुके हैं ।
KUMAR AJAY
B. अध्यात्म ( प्रार्थना)
1. प्रार्थना ” प्रार्थना” एक विचार नही , कोई एक क्रिया नही , यह एक भाव दशा है , जिसमें समर्पण के सिवा कोई प्रश्न नही , निज पुकार के सिवा कोई आग्रह नहीं । ” प्रार्थना “ … Read more
30. बन्द दरवाजे पर न्याय की गुहार
29. जिन्दगी ” हादसा ” नही उपहार है
शिकायत
“ज़िन्दगी ” से नहीं ,
खुद से है ।
मैने ही “ज़िन्दगी” को समझने में
और उसे संवारने में भूल कर दि ।
पुरी “ज़िन्दगी”
मै केवल भीड़ का हिस्सा बना रहा ,
जिसका न अपना कोई चेहरा था ,
न कोई विचार ।
नाकाम होने का ग़म मुझे उतना नहीं ,
जितना दुखः इस बात का है कि
हम किसी के काम न आ सके और
न ही खुद को उस काबिल बना सके ।
कल तक मेरे पास
दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा था ,
जिसकी किमत दुनिया का कोई भी जौहरी
नही लगा सकता था ।
परन्तु मैने वो दौलत मुफ्त में लुटा दिये ।
“समय”
एक ऐसी सम्पदा है ,
जिसे कुदरत ने हमसब पर
दिल खोल कर लुटाया है ,
जिसके जरिये हम अपने जीवन में
अवसर का सृजन कर सके और
खुद का निर्माण कर सके ।
पर दुर्भाग्य बस , समय रहते
जिसकी किमत हम नहीं समझ सके ।
“समय”
कि सत्ता से
जिसने भी खिलवाड ़ किया है ,
“समय” ने उसे कही का नही छोड़ा ।
़बडे़ ही निर्ममता से उसे
इतिहास के कुडे़दान मे फेंक दिया ।
“समय”
का जिसने भी सम्मान किया है ,
उसे अपने खून पसीने से सिंचा है ,
उसे कुदरत ने हमेशा
सफलता के सिहांसन से नवाज़ा है ।
28. ज्ञान का सूरज
सारी दुनिया से
तू तौबा कर ले ,
कोई गम़ नही ।
ये ज्ञान की सदि है भाई ,
बस तू मेरी एक बात मान ले …….
अपने छोटे से आँगन में
“ज्ञान ” के सूरज को उतार ले ।
परन्तु
तुझे इसके लिये
पहले अपने भीतर के अन्धेरे से लड़ना होगा ।
तुम्हे यह पता होना चाहिए
तुम्हारी हर पराजय ,हर दु:ख , हर अस्वीकारता
के पिछे तेरी ” अज्ञानता ” तेरा संशय ही
महत्वपूर्ण कारण रहा है ।
“ज्ञान ” के बाद ही जिन्दगी
जन्नत है भाई ,अन्यथा
जिन्दगी एक श्राप है ,एक सज़ा है , एक
लक्ष्यविहीन दौड़ है ।
ज्ञान के बिना अमीरी भी अश्लील लगती है ।
संर्घष भी दिशाहीन हो जाता है ।
क्योंकि हम जीवन में
आँक्टोपस की तरह एक ही साथ ,
चारो ं दिशाओं में चलना चाहते हैं ।
27. बेखौफ परिन्दे की पहली छलांग
खुले आसमान में
अपनी पहली उड़ान के लिये
एक परिन्दे को बेखौफ छलाँग
लगानी पड़ती है ।
इस जिन्दगी और मौत के बिच का
फासला खुद तय करनी पड़ती है ।
जिन्दगी का यह पहला सबक है कि
बिना जोख़िम के यहाँ कुछ भी
हासिल नही होता ।
यदि तुझे “खास ” बनना है
तो बेहिसाब श्रम और चट्टानी साहस
को खुद के साथ जोड़ना होगा ।
जिसने भी जिन्दगी में कुछ बडा़
हासिल किया है उन्हें उसकी
भरपुर किमत चुकानी पडी ़ है ।
मेरा हर उस जज्बे ओर हौसले
को सलाम , जिसने भी
जिन्दगी में पहली बार
बेखौफ छलाँग लगाने की जोख़िम उठायी है ।
जिंदगी भी उन शुरविरों के
दामन बेशुमार दौलत और शोहरत से भर डाला है ।
26. बे-रहम जिन्दगी
तू अपने निज सत्य के लिए खुद को अटल रख । दुनिया के गिले – शिकवे की परवाह मत कर । जो हाथ आज विरोध में उठे है ं वो कल तालियो ं मे बदल जाएगे । क्योंकि यही दुनिया की फितरत है की वह आज भी ललाट देखकर ही तिलक लगाना जानती है । तू … Read more
25. जिन्दगी का पता
जिस व्यक्ति ने “ज़िन्दगी ” का पता ढूढ़ लिया , उसे “जिन्दगी ” का हर राज़ .हाथ लग जाता है । यक्ष प्रश्न भी यही है कि जिन्दगी का पता ढुढा़ कैसे जाय ? आज जीवन में चारो तरफ जो दुःख और क्लेश है , असफलता और विफलता है , विघटन और विखराव है … Read more