” काम ” और “मोक्ष
जीवन के दो महान
लक्ष्य है ं ।
” अर्थ ” और ”धर्म”
दो साधन हैं ।
” अर्थ ” का सिधा सम्बन्ध धन से है ,
जो “काम ” का साधन है ।
इसलिए जो युग जितना कामूक
होगा ,वह उतना ही
धन पिपासु होगा ।
जो युग “मोक्ष” की आकांक्षा रखेगा
वह उतना ही आध्यात्मिक होगा ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि
” धर्म ” भी “धन ” की तरह एक साधन है ।
जब “मोक्ष” पाना होता है तो “धर्म”
साधन बन जाता है ।
यदि “काम – तृप्ति ” की प्यास हो तो
“धन” साधन बन जाता है ।
55. रोमन्स के जादूगर और उनकी तन्हा जिन्दगी
आखिर ऐसा क्यों होता है कि रोमान्स के जादूगर कहे जाने वाले नामचीन शायर और गीतकार , जिन्होने अपने गीतों और शायरी में ईश्क और मोहब्बत कई रंग दिखाऐ हैं ,फिर उनकी जिन्दगी ईतना तन्हा , बेरंग और विरान क्यों रह जाती है ? ये अपने निजी जीवन में रोमान्स के गुल क्यों नहीं खिला … Read more