” दरिया “
की धारा बनने के लिए पहली बूंद को
फना होना पड़ता है ।
छोटी लकीर के रुबरु एक बडी लकीर
खिंचनी पडती है ।
“जिंदगी “
अपने आप में कभी महान नही होती,
बल्कि उसके सरोकार और उसके लक्ष्य ,
उसके सपने और संर्घष ही जिंदगी को महान
और Large बनाते है ।
इसलिए जिंदगी में जीत की भूख की दखल
होनी चाहिये।
जिंदगी में यदि लडने और जीत की आग न हो
तो जिंदगी धुँआ - धुँआ सी लगती है ।
ये आग ही जिंदगी और सपने दोनो को सोने नही देते ।
परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत हो ,
तुझे अपनी जबाबदेही कबूल करनी होगी ।
तुझे अपने सपनों के साथ आगे बढना होगा
तुझे अपने जय – पराजय के बिच ही ,
नियति को भी चुनौती देनी होगी
आज तू नियति के हाथ का एक निरीह और बेजुबान
खिलौना नही बल्कि अपने भाग्य का निर्माता है ।
आज तेरी सफलता तेरा चुनाव है न कि संयोग ।