13. ” सुचना ” ज्ञान या ज्ञान का भ्रम

“सूचनाओं “

का संग्रह ज्ञान नही ,

ज्ञानी होने‌ का भ्रम पैदा करता है ।

अनुभव की ज्योति से ही ज्ञान का प्रकाश

प्रज्वलित होता है ।

विवेक की कसौटी पर, अपने सपने और सामर्थ को,

जय और पराजय को,अपनी ताकत और कमजोरी को,

दुविधा और असमंजस को परख ।

तुझे बार – बार अपने को जॉचना और परखना पडेगा ।

अपनी मंजिल और मुक़ाम पर

बाज की नजर रख ,

जमाने की फिक्र छोड ,

अपने दिल की आवाज सुन

और आगे बढ ।

जीवन यदि है तो पराजय का जख्म भी होगा ,

प्यार यदि है तो वियोग के आँसु भी होगे ,

परन्तु जीवन में कभी पराजय के आँसु  को

कभी शामिल मत करना ।

तेरे संर्घष और तेरी जीजिविशा के विजय – गान

दुनिया गनगुनाएगी ।

शराफत अच्छी बात है ‌,

नफरत करनी है तो अपनी गरीबी और गुमनामी से कर,

इसमें इंसान जिन्दा तो रहता है,

परन्तु  जिन्दगी विरान और बे जुबान हो जाती है ।

एक राज की बात बताता हूँ,

अमिरों के महल में दुख भी चुपके से दाखिल होता है,

और चुपके से विदा भी हो जाता है ।

गरिबो की झोपड़ी में दुख 

विपत्ती के रुप में दाखिल होता है और

सब कुछ तहस नहस और तबाह कर के जाता है ।

अपनी शर्तों पर जिंदगी को जीने की आदत डाल ,

जी – हुजूरी से जिंदगी कटती नही ,

बल्कि लूट जाती है, क्योंकि खैरात पर जीने से

अच्छा है मर जाना ।

जिन्दगी अगर हो तो सम्मान की हो, अन्यथा न हो । 

ये ज्ञान की सदी है ,

विवेक और ज्ञान का स्वागत कर ,

फिर देख –

जिंदगी के आकाश में  स्वभिमान का सूरज कैसे चमकता है ।

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