एक रात सपने में
जिंदगी की “मौत” से मुलाक़ात हो गयी !
‘मौत’ ने पूछा ?
कैसी हो जिंदगी ? इतनी चहचहा क्यो रही हो ?
“जिंदगी” ने इठलाती हुई जबाब दिया –
आज मै बहुत खुश हूँ क्योंकि
आज मेरे पास सब कुछ है
पैसा और दौलत है ,
शोहरत और महफिल है ,
गाडी और बंगला है ,
हुस्न और इस्क है ।
तुम्हे क्या चाहिए बता ?
” मौत ” ने व्यंग मे ं कहा –
तेरे पास सब कुछ होते हुऐ भी,
मुझे देने के लिये तेरे पास कुछ भी नही है ।
तू ये बता जिंदगी—
मेरे साथ चलते वक्त ,तेरे पास क्या होगा ?
“जिंदगी ” सोच में पड गयी –
जिंदगी इस सवाल के लिये तैयार नही थी ।
फिर जिंदगी काफी सोचने के बाद ,
“मौत ” से हकलाते हुए पूछा –
अब ऐसा क्या अर्जित करु ,जो तुम्हारे साथ
चलते वक्त उपहार स्वरुप तुम्हे दे सकू ?
“मौत ” ने कहा –
इसका जबाब तो तुम्हे ही ढूढना पडेगा जिंदगी ।
कफी दिनों बाद ,
जिंदगी के दरवाजे पर एक बार फिर
“मौत ” ने दस्तक दी –जिंदगी के पास कोई
जबाब नही था ।
जिंदगी आज भी निरुतर है ।