10. जिंदगी और उसके सपनो का यथार्थ

लडखडाते कदमों को सम्भाल ,

जिंदगी की राह में

इन कदमों का कोई मूल्य नही होता ।

जिस प्रकार उलझे विचारों और झूठे सपनो

का कोई मंजिल नही होता ।

हमारे जीवन में आज भी “संकल्प “

का कोई विकल्प नहीं है ।

कठोर अनुशासन और दृढ निश्चय

के बाद ही सपने विराट लक्ष्य में तबदिल होते है।

झुके हुए कंधो से आप जिंदगी के जंग नहीं जीत सकते। 

सम्पूर्ण समर्पण, गहरी प्रतिबद्धता और बे मिशाल

एकाग्रता में ही जीवन के सपने अपनी पहली उडान

के लिए  पंख  फैलाते हैं ।

जीवन में हार का गहन अंधेरा भी होगा और

संर्घष के छाले भी होगे ,और अपमान के दंश भी

होगे ।

पर जिंदगी इन सब से टुटती और बिखरती नही ,

बल्कि निखरती और सवरती जाती है ।

यह तय है कि तुम सब को 

खुश नही रख सकते ।

हर दिल अजीज बनने की कोशिश मत करना ।

थोडा निर्मम बनना होगा ।

सही को सही और गलत को गलत कहने की 

हिम्मत रख ,

“असहमति” की किमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी ,तभी

तु अपने  “वाकार” और गुरूर पर नाज ़ कर सकता है ।

जिंदगी के सपनो का यही यथार्थ है ।

Leave a comment