8. तू ” प्रजा ” है

तू ‘ प्रजा ‘ है

‘प्रजा ‘ ही बन कर रहना ,

तुम्हारी सेहत के लिए यह ठीक होगा ।

तुम्हे अपनी ‘ हद ‘ की पहचान होनी चाहिए ,

साथ ही तुम्हे अपनी हैसयत और औकात का

भी ख्याल रखना होगा ।

तुम्हे “सवाल ” पूछने का हक और आधिकार नही है ,क्यों कि मुझे सवालों से सख्त नफरत है ।

पर तुम्हे फरियाद की सुविधा होगी ।

पुरा ‘ तंत्र ‘ मेरे उपलब्धि के गीत गाते हैं ,

तुम्हे भी गाना चाहिए । 

यह हमारा वादा है और  मेरी  “गारान्टि “भी ,

हम तुम्हारी झोली अशरफीयो और मोहरो

से भर दे गे ।

तुम्हे मेरी ” मन की बात ” सुननी चाहिए ,

क्योंकि तुम्हारे लिए मेरे दिल में बहुत स्नेह और दुलार है।

” प्रजा ”  सब कुछ जानती है ,कि

यह सरासर झूठ है ।यह एक ”  राजनीतिक  प्रलोभन “है

और हमारे  विरुद्ध  एक साजि़स   भी ।

यहाँ “सत्य ”  के भेष में  जुमले परोसे जाते  हैं,

“जनता को जनार्दन ” , कह कर छल किये जाते हैं ।

दल के नाम पर  ‘गिरोह ‘ चलाया ‌ जाता है ,

जमात  और धर्म के नाम पर “अधर्म ” परोसा जाता है ।

ये  शिशे के टुकडे है ,इन्हें  “कोहिनूर ” मत समझ लेना,

इन चमकते  चहरो  का अपना कोई नूर नही होता ।

ये हूर के भेष में  लंगूर है ,

तूझे मंजूर हो या ना हो ,पर

तेरे ये ” हुजुर” है ।

वास्तव में

  ये “सपनो के सौदागर” है ,

देश सेवा के नाम पर ‘ तिजारत ‘ इनका काम ‌है ।

ये लोकतंत्र में बहुमत का कमाल नही ,

बस ये ” EVM ”  का करिश्मा है ।

ये आपातकाल नही ,अमृतकाल है ,यहाँ

अमृत के लिये किसी न किसी को विष तो पिना पडे गा।

 राष्टहित  और  देश की सुरक्षा  हमारी पहली प्राथमिकता

है ,इसके लिए हम हर कुर्बनी देगे ।

   अब हर उची आवाज और सवाल ,सलाखो के

पिछे नजर आएगे ।

ये देश की आवाज नही बल्की ” टुकडे टुकडे गैग “

का प्रलाप है । एक दिन देश को इन्हे जबाब देना होगा ।

अब ये मत पूछना कि ” प्रजा ” का क्या हाल है ? 

‘प्रजा ‘ बेहाल और बदहाल है ,बेरोजगारी और लाचारी है,  गुस्सा और असंतोष है ।

सिर्फ और सिर्फ हमारे ” पालनहार ”  खुशहाल है ।

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