6. जिंदगी और उसके कुछ सवाल

आज जब जिन्दगी  मुझसे

पूरी उम्र का हिसाब मांगती है,

तो मैं सोच में पड जाता हूँ,

क्या जबाब दू जिंदगी को ?

देखते ही देखते जिंदगी

मेरे हाथो से सरकती चली गई ।

अभी ठीक से आँख खुली भी न थी ,

मौत ने आँख मिचौली शुरू कर  दी ।

पता भी नही चला ,कब बचपन ने

जवानी का दामन थाम लिया और कब

बुढ़ापा ने  बिस्तर का ?

कुछ दिन खेल में बिते और कुछ दिन ईश्क में ,

कब जिंदगी की पतंग कट गयी ,

पता ही नहीं चला ।

वास्तव में कभी जीवन की डोर हाथ में थी ही नही ।

जब तक

अपने  गलती का एहसास होता है , तब तक

बहुत देर हो चुकी होती है ।

आज जिंदगी एक मकसद है ,

एक अवसर है ,खुद को साबित करने का ।

अगर चुक गये तो

जिंदगी एक हादसा है ।

गलती दुबारा ना हो , इसलिए

अपने सपनों को ,

जिन्दगी के करीब ला , खून पसीने से ,

जुनून और ज्जबे से  उसे सवारने की कोशिश कर ,

फिर देखना  जिंदगी एक हादसा नहीं

एक उपहार है ।

Leave a comment