एक ईमानदार नज़र में
यदि थोड़ी सी
बे-वफाई की सूरमा हो ,तो वह एक
शरारत भर होती है ,उसे हम गुस्ताखी कह सकते हैं ,पर
वो कोई गुनाह नहीं होता ।
लोग उसे माफ़ कर देते हैं ।
खबरदार !मैने कोई बे -ईमानी की बात नहीं की है ।
थोड़ी छूट जरुर ली है ।
कुछ अपवाद कोछोड़ दिया जाय तो ,
एक सच्चे इन्सान को ये संसार
उसकी शर्तो पर उसे जीने नही देती ।
निष्पाप और निष्कलंक जिन्दगी को
यह संसार देवता की तरह पूजना तो
जानती है ,
पर उसे जीते जी बरदास्त नही कर पाती ।