आखिर ऐसा क्यों होता है कि
रोमान्स के जादूगर
कहे जाने वाले नामचीन
शायर और गीतकार ,
जिन्होने अपने गीतों और शायरी में
ईश्क और मोहब्बत कई रंग
दिखाऐ हैं ,फिर उनकी जिन्दगी
ईतना तन्हा , बेरंग और विरान
क्यों रह जाती है ?
ये अपने निजी जीवन में
रोमान्स के गुल
क्यों नहीं खिला पाते हैं ?
बे- पनाह मुहब्बत और ईश्क को
मखमली बोल में पिरोने वालों की
जिन्दगी मुहब्बत से
महरूम क्यों रह जाती है ?
क्या वास्तविक जीवन में
रोमान्स के लिए कोई
(space ) जगह नही होता ?
क्या जिन्दगी ईतनी निर्मम है ?