55. रोमन्स के जादूगर और उनकी तन्हा जिन्दगी

आखिर ऐसा क्यों होता है कि

रोमान्स के जादूगर

कहे जाने वाले नामचीन

शायर और गीतकार ,

जिन्होने अपने गीतों और शायरी में

ईश्क और मोहब्बत कई रंग 

दिखाऐ हैं ,फिर उनकी जिन्दगी

ईतना तन्हा , बेरंग  और  विरान

क्यों रह जाती है ?

ये अपने निजी जीवन में

रोमान्स के गुल

क्यों नहीं खिला पाते हैं ?

बे- पनाह मुहब्बत और ईश्क को

मखमली बोल में पिरोने वालों की

जिन्दगी मुहब्बत से

महरूम क्यों रह जाती है ?

क्या वास्तविक जीवन में

रोमान्स के लिए कोई

(space ) जगह नही होता ?

क्या जिन्दगी ईतनी निर्मम है ?

Leave a comment