49. हाथ को काम

आज “हाथों ” को काम

   का मिलना ही उसका सम्मान और

    सत्कार है ,और काम का नही मिलना

    एक बद्दुआ है ।

    एक गाली है ।

    जब तक आपके पास काम 

    नही होगे ,

    आपकी प्रतिभा और प्रयत्न ,

    आपके संर्घष और  सामर्थ का

     कोई मोल नहीं होता ।

     पलायन ही आपकी नियती होगी ।

     “काम ” मिलने के बाद ही आपकी

     काबिलीयत का पता चलता है , अन्यथा

     आपकी मुट्ठी में अन्धेरे के सिवा

      कुछ नहीं होता ।

      आप केवल बेरोजगार ही नहीं होते ,

      बल्कि लाचार ,विवश और नाकाम भी

      होते हैं ।

     “काम” का न मिलना 

      तुम्हारी अयोग्यता का प्रमाण नही है ,

     अवसर का अभाव है ।

      काम और दाम जीवन के दो

      महत्वपूर्ण जरूरते है ं।

      इसके लीए हमेशा किसी सरकार 

      को कटघरे में खडा़ करना सही नहीं  होगा ।

      आखिर दूसरों के कंधे के सहारे 

       हम जिन्दगी को बेसहारा तो नही छोड सकते ।

      किसी भी हाल में  कौशल और  काबिलीयत 

      हासिल करनी होगी और जिन्दगी को

      सम्मान का हकदार  खुद‌  बनाना होगा ।

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