26. बे-रहम जिन्दगी

तू अपने

  निज सत्य के लिए 

 खुद को अटल रख ।

 दुनिया के गिले – शिकवे की 

 परवाह मत कर ।

 जो हाथ आज विरोध में उठे है ं

 वो कल तालियो ं मे बदल जाएगे ।

 क्योंकि यही दुनिया की फितरत है

 की वह आज भी ललाट देखकर ही

 तिलक लगाना जानती है ।

 तू सहयोग और सम्मान की

 अपेक्षा मत कर ।

 तू खुद पर भरौसा और विश्वास रख 

 और आगे बढ़ ।

 जिंदगी  बे रहम हो सकती है ,

 परन्तु कभी बे वफा़  नही हो सकती ।

 तू  अपने हिस्से  के सत्य के साथ

 आगे बढ़ ,

” जिन्दगी ” के पास तेरे लिए

 एक अच्छी सौगात होगी ।

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