तू ‘ प्रजा ‘ है
‘प्रजा ‘ ही बन कर रहना ,
तुम्हारी सेहत के लिए यह ठीक होगा ।
तुम्हे अपनी ‘ हद ‘ की पहचान होनी चाहिए ,
साथ ही तुम्हे अपनी हैसयत और औकात का
भी ख्याल रखना होगा ।
तुम्हे “सवाल ” पूछने का हक और आधिकार नही है ,क्यों कि मुझे सवालों से सख्त नफरत है ।
पर तुम्हे फरियाद की सुविधा होगी ।
पुरा ‘ तंत्र ‘ मेरे उपलब्धि के गीत गाते हैं ,
तुम्हे भी गाना चाहिए ।
यह हमारा वादा है और मेरी “गारान्टि “भी ,
हम तुम्हारी झोली अशरफीयो और मोहरो
से भर दे गे ।
तुम्हे मेरी ” मन की बात ” सुननी चाहिए ,
क्योंकि तुम्हारे लिए मेरे दिल में बहुत स्नेह और दुलार है।
” प्रजा ” सब कुछ जानती है ,कि
यह सरासर झूठ है ।यह एक ” राजनीतिक प्रलोभन “है
और हमारे विरुद्ध एक साजि़स भी ।
यहाँ “सत्य ” के भेष में जुमले परोसे जाते हैं,
“जनता को जनार्दन ” , कह कर छल किये जाते हैं ।
दल के नाम पर ‘गिरोह ‘ चलाया जाता है ,
जमात और धर्म के नाम पर “अधर्म ” परोसा जाता है ।
ये शिशे के टुकडे है ,इन्हें “कोहिनूर ” मत समझ लेना,
इन चमकते चहरो का अपना कोई नूर नही होता ।
ये हूर के भेष में लंगूर है ,
तूझे मंजूर हो या ना हो ,पर
तेरे ये ” हुजुर” है ।
वास्तव में
ये “सपनो के सौदागर” है ,
देश सेवा के नाम पर ‘ तिजारत ‘ इनका काम है ।
ये लोकतंत्र में बहुमत का कमाल नही ,
बस ये ” EVM ” का करिश्मा है ।
ये आपातकाल नही ,अमृतकाल है ,यहाँ
अमृत के लिये किसी न किसी को विष तो पिना पडे गा।
राष्टहित और देश की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता
है ,इसके लिए हम हर कुर्बनी देगे ।
अब हर उची आवाज और सवाल ,सलाखो के
पिछे नजर आएगे ।
ये देश की आवाज नही बल्की ” टुकडे टुकडे गैग “
का प्रलाप है । एक दिन देश को इन्हे जबाब देना होगा ।
अब ये मत पूछना कि ” प्रजा ” का क्या हाल है ?
‘प्रजा ‘ बेहाल और बदहाल है ,बेरोजगारी और लाचारी है, गुस्सा और असंतोष है ।
सिर्फ और सिर्फ हमारे ” पालनहार ” खुशहाल है ।