8. “आत्म साक्षात्कार”

“आत्म साक्षात्कार “

     की पहली शर्त है कि

     हम कितने “चैतन्य” हैं ?

     हम कितने होश में है ं ?

      हमे ं

      इस तरह जीना है कि

      हम पर जरा भी राँख इकट्ठी न हो ,

      हमारे भीतर की जागरण की आग

      जलती रहनी चाहिए ।

      हमारा हर पल ,हर क्षण

      पुरे होश में हो ।

      इन्हीं चैतन्य के क्षणों ‌ में

      परमात्मा की झलक मिल पाती है ।

     ”  मुर्छा’

      हमारे जीवन और आत्मा दोनों

       का ही क्षय है ।

    ”  चैतन्य” का पूर्ण जागरण ही

      ” आत्म -साक्षात्कार ” है ।

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