मेरे लिए
यह कहना जरा मुश्किल है कि
“मोबाईल” मेरा अज़ीज दोस्त है या
बे – रहम दुश्मन ?
पर इतना तय है कि इसके बिना
जिन्दगी अधूरी है ।
वह उस मेहबूब की तरह है
जो आपसे , आपके बिस्तर से लेकर
सिने तक चिपकी रहती है ।
वह है तो ही आप हैं ।
हर पल , हर घड़ी वह
आपकी जिन्दगी में शामिल है ।
उसके पास आपके हर सवाल
का जवाब है ।
यही उसकी कामयाबी और करिश्मा
का राज़ है ।
वह आपकी अशान्ति में शान्ति है
और शान्ति में अशान्ति भी है ,
क्योंकि वह निर्लिप्त और निष्पक्ष है ।
उसका हर काँल आपको
जिन्दगी के रिंग में खडा़ कर
देता है ।
आप हमेशा अपने को
एक पहरेदारी के बिच पाते हैं ।
आपकी निजता अब सार्वजनिक है ।
आप अकेले जरुर हैं ,पर
सबके निगाह में हैं ।
आप कही भी है ं ,पर आप
विजीवल हैं ।
ये सौदा फायदे का है या
नुकशान का ?
तय आपको करना है ।
इसकी किमत हमने अपना
“एकान्त” खो कर चुकाया है ।