73. संसार और बाजार

ये संसार है भैया !

और ये संसार अब

एक बाजार है ।

यहाँ  कुछ भी खैरात में

नहीं मिलता ।

जब भी कुछ खरिदना होता है ,

किस्तों में खुद को बेचना पड़ता है ।

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