7. कुदरत का निज़ाम और जिंदगी के सपने

जीवन में

अपनों को खो देने का गम 

उतना नही होता , जितना उस हादसे से 

सपनो के बिखर जाने का होता है । 

सपने जिंदगी के प्रेरणा रहे हैं ,

जो जिंदगी को उल़्लास और आवेग से 

भर देते है ं। जीवन जोश से भर उठता है ।

सपने कभी बेवफा नही होते ,

हम खुद सपनों से और जिंदगी से

वफा नही कर पाते ,

दोहमत और बदनामी  नियति को होना पडता है ।

वास्तव में

सपनों का वजूद  उसके मक़सद से जुडा होता है ।

उन सपनों का कोई वजूद नही होता ,

जिनका कोई  मक़सद नही होता ।

जिन्दगी ने

हमेशा हसरतों को  हौसले का पैगाम दिया है ,

फरियाद  की नही ,

‘फरियादी ‘ दूसरों के रहमो करम पर

अपनी जिंदगी बसर करते है ं,जहां

सपनों का कोई मोल नही  होता ।

ये कुदरत का निजाम है या

फिर  उसका करिश्मा ,

कहना जरा मुशकिल है ।

पर इतना कहना वाजिब हैं कि

यदि तुने  जिंदगी को तरासने की ईमानदार

कोशिक की है तो  तेरा वाकार और तेरी सलामती

पर परमात्मा कभी आँच आने नहीं देगा ।

अब ज्यादा मत सोच 

तेरी  मंजिल को तेरे पहले कदम का इन्तज़ार है ।

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