67. बेटी की कामयाबी

जब बेटी की कामयाबी पर

पिता की आँखों में खुशी

के आसूँ छलक उठते हैं ,तो

बेटी गुरुर से खिल उठती है ।

पहली बार  उसे अपने बेटी

होने पर गर्व और अपनी कामयाबी

पर नाज़ होता है ।

पिता के आँखों के आसूँ

केवल खुशी के आसूँ नहीं होते ,

वह संर्घष ,अपमान , पराजय और

 लोगों के तानों का सैलाब होता है ,

जो अचानक फूट पड़ता है ।

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