कोई भी ” मानवीय अपराध”
जब हमारे ” महिला जगत” को अमानवीय
और निर्मम तरिके से प्रताड़ित करता है ,
उसके अस्मिता को क्षत – विक्षत करता है ,
तो वह केवल अपराध नहीं हो सकता ,
उस कृत्य को एक वहसी जानवर द्वारा
किया गया निकृष्टतम और निर्मम ” कुकृत्य”
ही कह सकते हैं ।
बड़ी से बडी़ सजा़ भी उस ” कुकृत्य”
के लिए छोटी लगती है , चाहे वह ” फांसी”
की सजा क्यों न हो ?
क्योंकि पीडी़ता और उसके परिवार पर
जो बितती है ,उस व्यथा को व्यक्त नही
किया जा सकता है ।
जब वह पुरे समाज और सिस्टम से
पूछती है कि मेरी बेटी का गुनाह क्या था ,
जिसकी उसे सजा मिली ?
किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं है ।
अपराधी के लिए
यह महज एक भूल या एक दुर्घटना है ,
जो बिना किसी अपराध बोध और पश्चाताप
के जेल काट रहा होता है , परन्तु
उस पीड़ित परिवार को उस सदमे से
बाहर निकलने में वर्षो लग जाएंगे ।
इस परिवार के साथ हमारा अ -संवेदनशील
और अ – मानवीय प्रशासन जिस तरह
से पेश आया है ,उसे देख और सुन कर
पुरे मुल्क का सिर शर्म से झुक जाता है ।
बंगाल ( कोलकता )एक सास्कृतिक रुप
से बहुत ही समृद्ध और सचेत समाज
रहा है ,वहाँ की आवाम की राजनीतिक चेतना
भी बहुत उग्र और प्रखर रही है ।
वो न्याय के लिए सड़को पर उतरना जानती
हैं । बडे़ दुःख और अफसोस की बात यह
है कि पुरे मुल्क का सिस्टम नकारा और नपुसंक
हो चुका है ।एक FIR के लिये लोगों को
सड़को पर उतरना पड़ता है ,फिर भी 24 घंटे
लग जाते हैं एक FIR को दर्ज होने में।
विरोध और प्रदर्शन ,जुलूस और धारना यदि
न हो तो हमारा सिस्टम सोया रहेगा ।
जैसे कुछ हुआ ही नही ।
किसी भी जिन्दा और जागरुक कौम की
यह पहली पहचान होती है कि किसी भी अन्याय
के विरुद्ध वह कैसे रियेक्ट करती है ?
ममता दिदि एक राज्य की मुख्य मंत्री हैं ,साथ
मे वे एक महिला हैं ,फिर भी ईस दुर्भाग्यपुर्ण
घटना पर उनकी प्रतिक्रिया और व्यवहार सम्मानजनक नही रहा ।
उनको राजनीति से उपर उठ कर एक कडा़
संदेश अपराधियों के विरुद्ध देना चाहिए था ,पर
दुर्भाग्यवश ऐसा नही हो सका ।
ममता दिदि ये जनता
रोटी के लिये नही “बेटी” के लिए रोड़ पर उतरी है,
इसका जवाब आपको देना होगा ।
पुरे मुल्क की संवेदना उस पीड़ित परिवार
के साथ है ।इन राजनीतिक नेताओं को हो क्या
गया है ? ये इतना नीचे गीर गये हैं कि इन्हें न जनता माँफ करेगी न ही इतिहास
कभी माँफ करेगा ।