सुविधा , सहुलियत और सिफारिश
पर जब जिन्दगी
बसर होने लगती है ,तो जीवन के
आदर्श और वसूल
पिछे छूट जाते हैं ।
आप परजीवी और समझौता – जीवी
बन कर रह जाते हैं ।
प्रतिरोध की नैतिक शक्ति हमेशा
के लिए विदा हो जाती है ।
चाटुकारिता और चरण वंदना ही
जिन्दगी के महत्वपूर्ण टूल्स
रह जाते हैं ।
फिर जिन्दगी पैरो पर नही ं
घूटनो पर आ जाती है ,क्योंकि
आपकी आत्मा और चेतना
दोनों मर चुकी होती है ।