आज जब जिन्दगी मुझसे
पूरी उम्र का हिसाब मांगती है,
तो मैं सोच में पड जाता हूँ,
क्या जबाब दू जिंदगी को ?
देखते ही देखते जिंदगी
मेरे हाथो से सरकती चली गई ।
अभी ठीक से आँख खुली भी न थी ,
मौत ने आँख मिचौली शुरू कर दी ।
पता भी नही चला ,कब बचपन ने
जवानी का दामन थाम लिया और कब
बुढ़ापा ने बिस्तर का ?
कुछ दिन खेल में बिते और कुछ दिन ईश्क में ,
कब जिंदगी की पतंग कट गयी ,
पता ही नहीं चला ।
वास्तव में कभी जीवन की डोर हाथ में थी ही नही ।
जब तक
अपने गलती का एहसास होता है , तब तक
बहुत देर हो चुकी होती है ।
आज जिंदगी एक मकसद है ,
एक अवसर है ,खुद को साबित करने का ।
अगर चुक गये तो
जिंदगी एक हादसा है ।
गलती दुबारा ना हो , इसलिए
अपने सपनों को ,
जिन्दगी के करीब ला , खून पसीने से ,
जुनून और ज्जबे से उसे सवारने की कोशिश कर ,
फिर देखना जिंदगी एक हादसा नहीं
एक उपहार है ।