जीवन में
जो कुछ भी शुभ और मंगल है ,
उसके किरदार हम खुद होते हैं ,
और जो कुछ भी अशुभ और अमंगल
घटता है उसके लिये भी हम स्वयं
कसुरवार और गुनाहगार होते हैं ,
क्योंकि परमात्मा कभी किसी
का अहित नही सोचता ।
हमे ं
अपने गलतियों से
सबक लेनी होती है ।
गलतियाँ हो परन्तु उनकी
पुनरावृति न हो ।
इस पक्के इरादे के साथ ही
हमे आगे बढ़ना होता है ।
तभी जीवन में बदलाव की बयार
बह पाती है ।