59. बदलाव की बयार

जीवन में

जो कुछ भी शुभ और मंगल है ,

उसके किरदार हम खुद होते हैं ,

और जो कुछ भी अशुभ और अमंगल

घटता है उसके लिये भी हम स्वयं

कसुरवार और  गुनाहगार होते हैं ,   

क्योंकि परमात्मा कभी किसी

का अहित नही सोचता ।

हमे ं

अपने गलतियों से

सबक लेनी होती है ।

गलतियाँ हो परन्तु उनकी

पुनरावृति न हो ।

इस पक्के इरादे के साथ ही

हमे आगे बढ़ना होता है ।

तभी जीवन में बदलाव की बयार

बह पाती है ।

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