57. बे-वफाई की सूरमा

एक ईमानदार नज़र में

यदि थोड़ी सी

बे-वफाई की सूरमा हो ,तो वह एक

शरारत  भर होती है ,उसे हम गुस्ताखी कह सकते हैं ,पर

वो कोई गुनाह नहीं होता ।

लोग  उसे माफ़ कर देते हैं ।
खबरदार !

मैने कोई बे -ईमानी की बात नहीं की है ।

थोड़ी छूट जरुर ली है ।
कुछ अपवाद को 

छोड़ दिया जाय तो ,

एक सच्चे इन्सान को ये संसार

उसकी शर्तो पर उसे जीने नही देती ।

निष्पाप और निष्कलंक जिन्दगी को

यह संसार देवता की तरह पूजना तो

जानती है ,

पर उसे जीते जी बरदास्त नही कर पाती ।

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