आज “हाथों ” को काम
का मिलना ही उसका सम्मान और
सत्कार है ,और काम का नही मिलना
एक बद्दुआ है ।
एक गाली है ।
जब तक आपके पास काम
नही होगे ,
आपकी प्रतिभा और प्रयत्न ,
आपके संर्घष और सामर्थ का
कोई मोल नहीं होता ।
पलायन ही आपकी नियती होगी ।
“काम ” मिलने के बाद ही आपकी
काबिलीयत का पता चलता है , अन्यथा
आपकी मुट्ठी में अन्धेरे के सिवा
कुछ नहीं होता ।
आप केवल बेरोजगार ही नहीं होते ,
बल्कि लाचार ,विवश और नाकाम भी
होते हैं ।
“काम” का न मिलना
तुम्हारी अयोग्यता का प्रमाण नही है ,
अवसर का अभाव है ।
काम और दाम जीवन के दो
महत्वपूर्ण जरूरते है ं।
इसके लीए हमेशा किसी सरकार
को कटघरे में खडा़ करना सही नहीं होगा ।
आखिर दूसरों के कंधे के सहारे
हम जिन्दगी को बेसहारा तो नही छोड सकते ।
किसी भी हाल में कौशल और काबिलीयत
हासिल करनी होगी और जिन्दगी को
सम्मान का हकदार खुद बनाना होगा ।