खुले आसमान में
अपनी पहली उड़ान के लिये
एक परिन्दे को बेखौफ छलाँग
लगानी पड़ती है ।
इस जिन्दगी और मौत के बिच का
फासला खुद तय करनी पड़ती है ।
जिन्दगी का यह पहला सबक है कि
बिना जोख़िम के यहाँ कुछ भी
हासिल नही होता ।
यदि तुझे “खास ” बनना है
तो बेहिसाब श्रम और चट्टानी साहस
को खुद के साथ जोड़ना होगा ।
जिसने भी जिन्दगी में कुछ बडा़
हासिल किया है उन्हें उसकी
भरपुर किमत चुकानी पडी ़ है ।
मेरा हर उस जज्बे ओर हौसले
को सलाम , जिसने भी
जिन्दगी में पहली बार
बेखौफ छलाँग लगाने की जोख़िम उठायी है ।
जिंदगी भी उन शुरविरों के
दामन बेशुमार दौलत और शोहरत से भर डाला है ।