तू अपने
निज सत्य के लिए
खुद को अटल रख ।
दुनिया के गिले – शिकवे की
परवाह मत कर ।
जो हाथ आज विरोध में उठे है ं
वो कल तालियो ं मे बदल जाएगे ।
क्योंकि यही दुनिया की फितरत है
की वह आज भी ललाट देखकर ही
तिलक लगाना जानती है ।
तू सहयोग और सम्मान की
अपेक्षा मत कर ।
तू खुद पर भरौसा और विश्वास रख
और आगे बढ़ ।
जिंदगी बे रहम हो सकती है ,
परन्तु कभी बे वफा़ नही हो सकती ।
तू अपने हिस्से के सत्य के साथ
आगे बढ़ ,
” जिन्दगी ” के पास तेरे लिए
एक अच्छी सौगात होगी ।