24. रूप ,सौंदर्य और शोहरत

आज बाजार ने 

“रूप ” को एक ” प्रोडक्ट ” का

शक्ल दे दिया है ।

 जिसमें  सौंदर्य की गरिमा नहीं 

बल्कि  बाजार का जादु ज्यादा नजर आता है ।

एक समय था ,

 जब  “रूप”  सौंदर्य के लिए ख्याति

 तब पाता था ,जब वह किसी महान 

 उदेश्य का वाहक बनता था ।

 आज” रूप ” सौंदर्य के लिए नही ,

  बल्कि  प्रोडक्ट बेचने का माध्यम है,

  जो  “काले को गोरा”  दिखाने का छल

  आवाम से करती है ।

 यहाँ शोहरत के बदौलत

 बडी़  बडी़  हस्तियां  भी

 “इलाइची “के नाम पर तम्बाकू को

  प्रमोट करती हैं ।

 आज के इस बाजार में 

 हर पहाड़ चुल्लू भर पानी में डुबा हुआ है ।

 कवि धूमिल के शब्दों में ‌” जिसकी भी पूछँ 

 उठायी है ,सब को मादा पाया है  ” ।

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