आज बाजार ने
“रूप ” को एक ” प्रोडक्ट ” का
शक्ल दे दिया है ।
जिसमें सौंदर्य की गरिमा नहीं
बल्कि बाजार का जादु ज्यादा नजर आता है ।
एक समय था ,
जब “रूप” सौंदर्य के लिए ख्याति
तब पाता था ,जब वह किसी महान
उदेश्य का वाहक बनता था ।
आज” रूप ” सौंदर्य के लिए नही ,
बल्कि प्रोडक्ट बेचने का माध्यम है,
जो “काले को गोरा” दिखाने का छल
आवाम से करती है ।
यहाँ शोहरत के बदौलत
बडी़ बडी़ हस्तियां भी
“इलाइची “के नाम पर तम्बाकू को
प्रमोट करती हैं ।
आज के इस बाजार में
हर पहाड़ चुल्लू भर पानी में डुबा हुआ है ।
कवि धूमिल के शब्दों में ” जिसकी भी पूछँ
उठायी है ,सब को मादा पाया है ” ।