21. जिंदगी का फलसफ़ा

“जिंदगी”

 एक पहेली नही , बल्कि

 पथरिली  पगडंडीयो ं पर अपनी

 मंज़िल की तलाश है ।

 उसके कुछ अनमोल सपने है ं ,

उन सपनों की अपनी चुनौतियां हैं।

उन चुनौतियों को स्वीकार कर ,

और उसे उसके अंजाम तक पहुचाने

 कि पुरजोर कोशिश कर ।

 जय – पराजय कि बात पर ध्यान मत दे ,

” परिणाम ” नियति और परमात्मा के चरणों में

  सौप दे ।

 एक  योजना के साथ ,

 सही समय पर ,

 सही दिशा में ,

 तेरा प्रयास ,तेरी कोशिश तुझे

 तेरे  “पुरस्कार” का हकदार बनाएगी ।

 तु   केवल 

मिटने के लिए स्वयं  को  तैयार रख ,

तुझे  परास्त करना ना- मुमकिन होगा ।

“ज़िन्दगी ” का यही फलसफा है ,

 जो  मिटने के लिये तैयार है ,

उसे मिटा पाना अस्मभव है ।

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