“जिंदगी”
एक पहेली नही , बल्कि
पथरिली पगडंडीयो ं पर अपनी
मंज़िल की तलाश है ।
उसके कुछ अनमोल सपने है ं ,
उन सपनों की अपनी चुनौतियां हैं।
उन चुनौतियों को स्वीकार कर ,
और उसे उसके अंजाम तक पहुचाने
कि पुरजोर कोशिश कर ।
जय – पराजय कि बात पर ध्यान मत दे ,
” परिणाम ” नियति और परमात्मा के चरणों में
सौप दे ।
एक योजना के साथ ,
सही समय पर ,
सही दिशा में ,
तेरा प्रयास ,तेरी कोशिश तुझे
तेरे “पुरस्कार” का हकदार बनाएगी ।
तु केवल
मिटने के लिए स्वयं को तैयार रख ,
तुझे परास्त करना ना- मुमकिन होगा ।
“ज़िन्दगी ” का यही फलसफा है ,
जो मिटने के लिये तैयार है ,
उसे मिटा पाना अस्मभव है ।