2. “जीवन”


‘जीवन’ एक अवसर है,स्वंय के द्वारा, स्वंय के निर्मण का |

यदि
जीवन होशपूर्ण है तो,
यह स्वंय का सतत् सृजन है|

जीवन
नियती का कोई खेल नहीं,
प्रकृति द्वारा प्रदत
अवसर का एक सार्थक प्रयास है|

जीवन
को जब सही दिशा और दृष्टि मिलती है तो
‘सिद्धार्थ’ भगवान बुद्ध बन जाते है |
महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रुप में स्थापित हो जाते हैं|
‘नरेंद्र’ विवेकानंद के रुप में याद किये जाते हैं|

जीवन 
में कभी कोई short-cut नहीं होता,
जीवन हरपल -हरक्षण अपने हिस्से के सत्य को
अस्तित्व में लाने का प्रयास है|

अन्यथा
जीवन एक भटकाव और विफलता
बनकर रह जाता है|




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