“सूचनाओं “
का संग्रह ज्ञान नही ,
ज्ञानी होने का भ्रम पैदा करता है ।
अनुभव की ज्योति से ही ज्ञान का प्रकाश
प्रज्वलित होता है ।
विवेक की कसौटी पर, अपने सपने और सामर्थ को,
जय और पराजय को,अपनी ताकत और कमजोरी को,
दुविधा और असमंजस को परख ।
तुझे बार – बार अपने को जॉचना और परखना पडेगा ।
अपनी मंजिल और मुक़ाम पर
बाज की नजर रख ,
जमाने की फिक्र छोड ,
अपने दिल की आवाज सुन
और आगे बढ ।
जीवन यदि है तो पराजय का जख्म भी होगा ,
प्यार यदि है तो वियोग के आँसु भी होगे ,
परन्तु जीवन में कभी पराजय के आँसु को
कभी शामिल मत करना ।
तेरे संर्घष और तेरी जीजिविशा के विजय – गान
दुनिया गनगुनाएगी ।
शराफत अच्छी बात है ,
नफरत करनी है तो अपनी गरीबी और गुमनामी से कर,
इसमें इंसान जिन्दा तो रहता है,
परन्तु जिन्दगी विरान और बे जुबान हो जाती है ।
एक राज की बात बताता हूँ,
अमिरों के महल में दुख भी चुपके से दाखिल होता है,
और चुपके से विदा भी हो जाता है ।
गरिबो की झोपड़ी में दुख
विपत्ती के रुप में दाखिल होता है और
सब कुछ तहस नहस और तबाह कर के जाता है ।
अपनी शर्तों पर जिंदगी को जीने की आदत डाल ,
जी – हुजूरी से जिंदगी कटती नही ,
बल्कि लूट जाती है, क्योंकि खैरात पर जीने से
अच्छा है मर जाना ।
जिन्दगी अगर हो तो सम्मान की हो, अन्यथा न हो ।
ये ज्ञान की सदी है ,
विवेक और ज्ञान का स्वागत कर ,
फिर देख –
जिंदगी के आकाश में स्वभिमान का सूरज कैसे चमकता है ।