12. जिन्दगी की चुनौतियां वाह्य नही आन्तरिक हैंI

 एक व्यक्ति

 अपनी जिन्दगी की बडी़ जंग

 तो बाद में लड़ता है ।

 पहले अपनी छोटी छोटी 

 कमजोरियो ं से उपर उठकर

 अपनी हौसले का विस्तार करता है ।

 अपने संकल्प को एक आकार देने की

 कोशिश करता है ।

 अपने आन्तरिक संर्घष को

 विवेक से जोड़ता है और अपनी

 कमजोरियो ं को कामयाबी में बदलने

 की कोशिश करता है ।

 वाह्य तो केवल परिणाम का

 वाहक होता है  ।

नि: सन्देह

जिन्दगी की चुनौतियां आन्तरिक हैं ,

जो बाहर से दिखती नहीं है ।

हर पल अपने आन्तरिक शत्रु से

सतर्क रहना होगा हमे ं ।

जो भटकाएगें ,

क्षणिक सुख के लिये

उत्तेजना से भर देगे ं और इन सब

का अन्त एक दुख:द पश्चाताप पर होगा ।

हमें अपने इन्दृियो का दास

नही ,मालिक बनना होगा ।

साहस और संकल्प से इनका

मुकाबला करना होगा  ,

नि:सन्देह जिन्दगी की चुनौतियां आन्तरिक हैं ।

“जिन्दगी “हमारे आन्तरिक संर्घषों का ही

परिणाम होती है ।

“परिणाम  “इस  बात पर निर्भर करता है कि आप

अपने आन्तरिक चुनौतियों के लिए

भीतर से कितना तैयार हैं ?

Leave a comment