12. काल के कपाल पर

“जिंदगी” के लिए

समय और काल सिर्फ दिन ,महीने और साल

की गणना नही ,

बल्कि काल के कपाल पर हमारे द्वारा

खिची गयी  एक लकीर होती है ।

जहाँ हमरा वर्तमान हमारे अतीत के

फैसलो का परिणाम होता है, और हमारा भविष्य

हमारे वर्तमान के चुनाव का परिणाम होगा ।

“जिंदगी”

हमारे  संर्घषों  का  एक

जिवन्त दस्तावेज होता है और सपने

हमारे इच्छाओं का प्रतिबिम्ब ।

इच्छाओं को सपने में और सपनो को संकल्प में और

संकल्प  को  सफलता में उतारने की जिद्द ही जिंदगी

की उपलब्धि और खुबसूरती है ।

अन्यथा” जिंदगी “की हैसियत खाली बटुए की हो

जाती है ,जिसमें बिना बैलेंस के Credit Card और

उदास ” आधार कार्ड ” के सिवा कुछ नहीं होता ।

“जिंदगी”

कभी पराजय और उसके अपमान भरी चोट से

टुटती और झुकती नही है ,

पर जीस पल हम खुद को लडाई से बाहर कर लेते है ,

“जिंदगी “का कोई अर्थ और मकसद नही रह जाता ।

तू हमेशा “जिंदगी ” को 

लडाई के केंद्र में रख, अन्यथा “जिंदगी” तुम्हे

हासिये पर ढकेल देगी ।

डर हमे मौत से नही, “जिंदगी ” से है । क्योंकि

संसार की सारी चुनौतियां और संर्घष “जिंदगी “

से ही है ,मौत से नही ।

जिंदगी और मौत के बीच का फासला 

समय का नही “समझ “की है ।

अपनी इसी “समझ” से तू “जिंदगी” को

एक ऐसी” सौगात ” से ” नवाज ” जिसे  मौत 

छूने की भी हिम्मत नही कर सके ।

फिर देखना ,तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान होगी,और लोगो

के आँखो में आँसू ।

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