“जिंदगी” के लिए
समय और काल सिर्फ दिन ,महीने और साल
की गणना नही ,
बल्कि काल के कपाल पर हमारे द्वारा
खिची गयी एक लकीर होती है ।
जहाँ हमरा वर्तमान हमारे अतीत के
फैसलो का परिणाम होता है, और हमारा भविष्य
हमारे वर्तमान के चुनाव का परिणाम होगा ।
“जिंदगी”
हमारे संर्घषों का एक
जिवन्त दस्तावेज होता है और सपने
हमारे इच्छाओं का प्रतिबिम्ब ।
इच्छाओं को सपने में और सपनो को संकल्प में और
संकल्प को सफलता में उतारने की जिद्द ही जिंदगी
की उपलब्धि और खुबसूरती है ।
अन्यथा” जिंदगी “की हैसियत खाली बटुए की हो
जाती है ,जिसमें बिना बैलेंस के Credit Card और
उदास ” आधार कार्ड ” के सिवा कुछ नहीं होता ।
“जिंदगी”
कभी पराजय और उसके अपमान भरी चोट से
टुटती और झुकती नही है ,
पर जीस पल हम खुद को लडाई से बाहर कर लेते है ,
“जिंदगी “का कोई अर्थ और मकसद नही रह जाता ।
तू हमेशा “जिंदगी ” को
लडाई के केंद्र में रख, अन्यथा “जिंदगी” तुम्हे
हासिये पर ढकेल देगी ।
डर हमे मौत से नही, “जिंदगी ” से है । क्योंकि
संसार की सारी चुनौतियां और संर्घष “जिंदगी “
से ही है ,मौत से नही ।
जिंदगी और मौत के बीच का फासला
समय का नही “समझ “की है ।
अपनी इसी “समझ” से तू “जिंदगी” को
एक ऐसी” सौगात ” से ” नवाज ” जिसे मौत
छूने की भी हिम्मत नही कर सके ।
फिर देखना ,तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान होगी,और लोगो
के आँखो में आँसू ।