तू किसी का
प्रवक्ता बनने की कोशिश मत कर ।
टूटी फूटी भाषा में अपनी सोच
और समझ व्यक्त कर ।
किसी का सहारा लेने से
बेहतर है कि तू सशक्त और समझदार बन ।
आरामजीवी नही श्रमजीवी बन ।
आसान तरिके से पैसा अर्जित
करने का सपना मत पाल ।
पसीने से सनी रोटी का स्वाद
और सुगन्ध से पेट ही नही भरता ,
आत्मा भी तृप्त हो जाती है ।
फूलों से भरा एक छोटा सा
आँगन हो और तारों से सजी रात मे
गहरी नींद का सौगात हो ,
तो जिंदगी खिल उठती है ।